Up Nirashrit Besahara Govansh Sahbhagita Yojana : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अभी हाल ही में यूपी निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना (up nirashrit besahara govansh sahbhagita yojana) का शुभारंभ किया गया है। जिसके माध्यम से गोवंश के संरक्षण को बढ़ावा देना है। हम सब ने देखा होगा कि उत्तर प्रदेश में मवेशियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जिसके परिणाम स्वरूप मवेशी किसान के फसल को नष्ट कर दे रहे हैं। जिससे किसान अपनी आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। और किसान करें भी तो क्या करें? उत्तर प्रदेश में लगभग मवेशियों की संख्या 30 लाख से ज्यादा है जो निराश्रित है अर्थात उनका सहारा कोई नहीं है। इन्हीं सबके लिए यूपी निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना (up nirashrit besahara govansh sahbhagita yojana) लाया गया है। यूपी निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना (up nirashrit besahara govansh sahbhagita yojana) के माध्यम से राज्य सरकार यह प्रयास करेगी कि राज्य के अंदर जो बिना सहारा के गाय हैं उन्हें सहारा मिले और इसके लिए किसानों को अच्छी खासी रकम भी मिलेगी। परंपरागत रूप से गाय हमारी माता है और माता की रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य हो जाता है।हम सबने ने ध्यान दिया होगा जी जो खुले गाय जो घूमते हैं उनको मुस्लिम लोग पकड़कर के बूचड़खाने में ले जाकर के काट देते हैं और काट करके उनके मांस को बेचते हैं। जिसे प्रचलित भाषा में बीफ कहते हैं। गाय आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गाय के दूध में ऐसे महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जो न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक है अपितु मानसिक दृष्टि से भी लाभदायक है। यह हमारे अंदर परोपकार और करुणा का समावेश करता है। हम सब ने ध्यान दिया होगा कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने जो परब्रह्म है परमात्मा है वह गायों की दूध और दही को खाकर कितना आनंदित महसूस होते थे और गायों को चराते थे प्राचीन काल से हमारे पुराणों में गायों का साक्ष्य मिलता रहा है। इसीलिए हम सब को चाहिए कि गाय की रक्षा करें और आर्थिक रूप से सदुपयोग भी करें इससे बेरोजगारी भी दूर होगी। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना (up nirashrit besahara govansh sahbhagita yojana) को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है।
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का संक्षिप्त रूप:
योजना | उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना-2022 |
उद्देश्य | बेसहारा गोवंश को आश्रय प्रदान करना |
लाभार्थी | उत्तर प्रदेश के किसान |
आवेदन | ऑफलाइन |
राशि | ₹30 एक गाय को पालने के लिए दिया जाएगा |
आइए जानते हैं कि उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना क्या है?
उत्तर प्रदेश में लगभग 2 करोड़ गोवंश है। जिनमें से लगभग 1200000 से ज्यादा बेसहारा है अर्थात उन्हें कोई सहारा देने वाला नहीं है। इन को सहारा देने के लिए उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने एक निर्णय लिया है जिसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति निराश्रित बेसहारा पशुओं को सहारा देता है। उसे इसके लिए पैसा भी मिलेगा अर्थात यदि कोई व्यक्ति एक गाय पालता है तो उसे 1 दिन का ₹30 मिलेगा और महीने का ₹900 और यदि वह 20 गाय अपने यहां रखता है तब उसे 1 दिन का ₹600 की कमाई होगी और महीने के ₹18000 कमाएंगे। वह भी घर बैठे।आपको कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं है। बस इन गायों की स्वास्थ्य की सुरक्षा की देखभाल करना है और चारा का उचित प्रबंधन भी करना है। उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना (up nirashrit besahara govansh sahbhagita yojana)का अर्थ है गायों को गोद लेना यदि आप गायों को गोद लेते हैं तब आपको उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पैसा दिया जा रहा है इससे रोजगार का सृजन भी होगा बेरोजगारी भी घटेगी और घर पर ही पैसा कमा पाएंगे। पैसे आपको भी मिल जाएंगे वह भी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से।
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश का सहभागिता योजना Up Nirashrit Besahara Govansh Sahbhagita Yojana का उद्देश्य क्या है?
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश का सहभागिता योजना का उद्देश्य यहहै कि जो पालतू गाय हैं और बेसहारा हो गए हैं उन्हें सहारा देना है। हम सब भारतीयों की एक खराब आदत यह है कि जिसको हम आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद नही समझते हैं हम उन्हीं को अपने साथ रखते है अन्यथा अपने घर से निकाल फेंकते हैं। भारतीय लोग गाय को पालते हैं जब गाय दूध देने में असक्षम हो जाती है अर्थात बूढ़ी हो जाती है तब उसे किसी ऐसे सुनसान रास्ते पर छोड़ देते हैं और छोड़ कर चले जाते हैं। अब ऐसे में उस गाय की रक्षा कौन करेगा और उनके लिए चारा का प्रबंध कौन करें। यह तो मानवता को शर्मसार कर देता है। हम सब ने देखा भी होगा कि बैल का भी महत्व नहीं रहा है क्योंकि पहले बैल के माध्यम से खेत की जुताई होती थी लेकिन जब से ट्रैक्टर की क्रांति हुई है तब से खेतों की जुताई ट्रेक्टर से ही हो रही है। अब बैंल किसानों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप किसान बैल को भी छोड़ दे रहे हैं। क्योंकि किसान को यह लगता है कि बैल हमारे लिए किस काम का। वह आर्थिक दृष्टि से हमारे लिए लाभप्रद नहीं है। लेकिन हम सब को ध्यान रखना चाहिए कि उसके गोबर से हम खाद बनाकर खेतों में डाल सकते हैं। जिससे खेतों की उर्वरता बढ़ेगी और उसकी गोबर से उपलि बना करके खाना भी बना सकते हैं। लेकिन अब तो ग्रामीण समाज में उपली का भी महत्व नहीं रह गया है क्योंकि अब लोग एलपीजी गैस की ओर अग्रसर हो चुके हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री ने उज्ज्वला योजना का प्रारंभ किया है। जिसके तहत गरीब तबके के व्यक्तियों को एलपीजी गैस खरीदने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। जैसे-जैसे वैश्वीकरण की ओर दुनिया बढ़ रही है वैसे वैसे ही हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को छोड़कर के आधुनिकता के साथ प्रौद्योगिकी को स्वीकार कर रहे हैं। जिसके परिणाम वर्तमान में दिख भी रहा है कि हम जो गाय हमारी धरोहर है और धरोहर को हम सड़क पर छोड़ दे रहे हैं क्योंकि हमने दो वक्त का चारा नहीं दे पा रहे हैं। किसान की प्रवृत्ति भी होती है कि इससे हमे इससे हमें ₹1 भी मिलने वाला नहीं है। जब एक रुपए मिलने वाला नहीं है तो पालने का फायदा भी क्या है? इनसब को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ ने गायों की संरक्षण के लिए यह कठोर कदम उठाया है। इसके लिए लगभग 130 करोड़ रुपए फण्ड भी बनाया गया है।
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों की पात्रता क्या होनी चाहिए?:
(1) उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के लिए जो व्यक्ति आवेदन करना चाहता है उसकी पात्रता यह है कि सबसे पहले व उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए या उत्तर प्रदेश के किसी जिले या ब्लॉक में निवास करता हो।
(2) उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का दूसरा महत्वपूर्ण पात्रता यह है कि उसके पास गाय पालने का अनुभव भी होना चाहिए अर्थात उसको ज्ञान होना चाहिए कि गाय को कौन सा चारों को खिलाने से उसके शरीर को क्या फायदा होता है? और गाय को होने वाली छोटी-मोटी बीमारियों की विषय में भी जानकारी होनी चाहिए। जिससे यदि गाय बीमार हो जाती है तो वह व्यक्ति अपने तकनीकी अनुभवों से उसका आयुर्वेदिक या एलोपैथिक रूप से उपचार करा सके।
(3) उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत एक व्यक्ति को अधिकतम 4 गोवंश ही दिए जाएंगे। उसमें बछियों की गणना नहीं की जाएगी अर्थात यदि आप एक गाय ले रहे हैं और उसका बच्चा भी उसके साथ हैं तब उसे एक ही माना जाएगा 2 नहीं माना जाएगा।
(4) उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना की एक प्रमुख पात्रता यह भी है कि लाभार्थी के पास बैंक अकाउंट होना चाहिए खुद का। और वह बैंक अकाउंट आधार कार्ड से लिंक भी होना चाहिए।
(5) ध्यान देने योग्य वाली बात यह है कि दुग्ध समितियों से जुड़े व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी अर्थात जो व्यक्ति गाय पालने की इच्छुक हैं और अपनी आजीविका चलाना चाहते हैं और अभी वह वर्तमान में दुग्ध समितियों में कार्यरत हैं। यदि वह ऐसे में गाय पालना चाहते हैं उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। प्राथमिकता इसलिए दी जाएगी कि क्योंकि उनके पास गाय पालने का उचित अनुभव होता है। इस अनुभव का उपयोग करके गाय के लिए चारा का प्रबंध और उनकी बीमारियों के निवारण के लिए उचित उपाय भी कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत आवेदन करने के लिए कौन कौन से दस्तावेज लगेगा?:
(1) पासपोर्ट साइज का फोटो
(2) राशन कार्ड
(3) आधार कार्ड
(4) ईमेल आईडी
(5) वोटर आईडी कार्ड
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के लिए आवेदन कैसे करें?
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के लिए जो भी व्यक्ति आवेदन करना चाहते हैं तो आपको बता दें कि आवेदन के लिए कोई ऑनलाइन प्रक्रिया नहीं है। अपितु ऑफलाइन प्रक्रिया है। ऑफलाइन आवेदन के लिए आपको जिले के जिलाधिकारी या मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी से मिलकर के आवेदन कर सकते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी आवेदन करने की प्रक्रिया में आप की भरपूर सहायता करेंगे। यदि आपको आवेदन करते वक्त कोई समस्या होती है या कोई विकल्प नहीं समझ में आता है तब आपको मुख्य चिकित्सा अधिकारी पूरी तरह से उस विकल्पों को समझाएंगे।
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना को उत्तर प्रदेश सरकार जमीनी स्तर पर कैसे क्रियान्वयन कर रही है?:
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत लगभग 67257 गायों को प्रथम चरण में योजना के लिए चुना गया है। जिनमें से 1071 गायों की जो कुपोषित बच्चे हैं। उन्हें 1069 परिवारों में वितरित किया गया है। 130 करोड़ रुपए की कैबिनेट मंजूरी भी मिल गई है ।जिससे गोपालक को कोई समस्या ना हो चारा से संबंधित या स्वास्थ्य संबंधी उन सभी का प्रबंध वह उचित तरीके से कर सके। इसीलिए हर 67257 गायों के लिए ₹130 करोड़ रुपयेआवंटित किए गए है।
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का बेनिफिट क्या- क्या है?
(1) इस योजना को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए हर वर्ष पशुओं की ईयर टैंनिंग भी की जाएगी जिससे भ्रष्टाचार पर रोकथाम होगी।
(2) पशुपालक और किसान द्वारा यदि बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान किया जाएगा। इससे जो पशु दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। तब ऐसा नहीं होगा क्योंकि वह सड़क पर खुले घूमेंगे नहीं और उन्हें चारा के लिए किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवागमन नहीं करना होगा।
(3) यदि बेसहारा पशुओं को आश्रय दिया जाएगा। इससे फसल भी नहीं नष्ट होगा अर्थात मेरे कहने का मतलब यह है कि जो पशु चारे की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते हैं। घूमने के क्रम में वह खेतों में लगी खड़ी फसल को चट कर जाते हैं। जिससे किसान को बड़ी आर्थिक हानि होती है। लेकिन यदि बेसहारा पशुओं को आश्रय मिल जाएगा। तब वह एक ही स्थान पर रहेंगे और किसानों का फसल भी नष्ट नहीं होगा। ध्यान देने योग्य वाली बात यह है कि लगभग 20 प्रतिशत किसान कृषि के प्रति हतोत्साहित हो रहे हैं। उनके हतोत्साहित होने का कारण यह है कि वह फसल लगाते हैं फसल पैदा होने से पहले उनकी फसल को पशु नष्ट कर देते हैं लेकिन यदि इस योजना को जमीनी स्तर पर लागू किया गया तो ऐसा नहीं होगा।
(4) पशुओं का ऑडिट कराने के लिए जिला और ब्लॉक और तहसील स्तर पर समितियों का गठन होगा। जिससे हर वर्ष यह गणना की जा सके कितने पशु जीवित हैं और कितने पर्सेंट मरे हैं। उन पशुओं की मृत्यु हुई है किस बीमारी की वजह से हुई है क्या कोई किसान या गोपालक किसी कसाई को तो नहीं बेच दिए हैं और समिति इस चीज का रिपोर्ट बीडियो या एसडीएम को देगी।
(5) इस योजना का सबसे बड़ा लाभ दिया है कि इससे रोजगार का सृजन भी होगा। जिससे बेरोजगारी भी दूर होगी। गोपालक को हर गाय को पालने के लिए ₹30 दिया जाएगा। एक दिन के हिसाब से यदि से चार गाय मिलती है। एक दिन एक गोपालक ₹120 आसानी से कमा लेगा ।इस हिसाब से 1 महीने का ₹3600 होगा।
FAQs up nirashrit besahara govansh sahbhagita yojana
प्रश्न : उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के किस जिले से किया गया है?
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का शुभारंभ बुंदेलखंड जिले से की गई है ।बुंदेलखंड जिले से इसलिए की गई है इसका कारण यह है कि बुंदेलखंड में आवारा पशुओं की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है। जिससे वहां की कृषि प्रभावित हो रही है। एक सर्वे के मुताबिक प्रति हेक्टेयर उत्पादन आवारा पशुओं की वजह से प्रभावित हो रही है अर्थात यदि प्रति हेक्टेयर उत्पादन 5 कुंटल है आवारा पशुओं के हमला के परिणाम स्वरूप उत्पादन प्रति हेक्टेयर 2 कुंटल ही रह जाता है।
प्रश्न : उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत 1 गोवंश पालने में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कितने की धनराशि प्रदान की जाएगी
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत 1 गोवंश पालने में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ₹30 प्रति दिन दिया जाएगा अर्थात महीने का ₹900 प्रदान किया जाएगा।
प्रश्न : उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का लाभ कैसे उठाएं?
उत्तर प्रदेश निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना का लाभ लेने के लिए आप ग्राम प्रधान एवं ब्लॉक पर जाकर उठा सकते हैं।